Ganesh Chaturthi गणेश चतुर्थी के आरंभ की कहानी बड़ी ही अनोखी है क्योंकि इसमे अन्होने अपने अंदर के अहंकार के साथ कुछ और भी चीज़ खोया था।
पुराणो में, कहावतो ने लिखा है कि जब तक आप कुछ खोगे नहीं तब तक आप पूजनिये नहीं बन पाओगे।
ऋषि कश्यप के महादेव को दीया श्राप ही करण है कि आज हम सभी “श्री गणेश”, “विघ्नहर्ता” के दर्शन कर रहे हैं और उनकी पूजा अर्चना कर रहे हैं।

“श्री गणेश” जी की पूजा करने से हमारे सारे विघ्न, कष्ट, रोग, परेशानियाँ दूर हो जाती हैं और घर में सुख शांति एवं समृद्धि बढ़ती है।

आइए “श्री गणेश” जी की जन्म की उत्पत्ति कैसे हुई-

जब महादेव ने स्वयं अपने पुत्र विनायक का सिर अपने त्रिशूल से काट दिया था। तब उन्होंने भगवान श्री हरि विष्णु से विचार-विमर्श के बाद अपने पुत्र को नया सिर लगाकर उसे पुनः नया जन्म देने का निर्णय लिया।

इसलिए उन्होंने अपने दूत को अपने पुत्र विनायक के लिए नया सिर लाने के लिए भेजा।

भगवान महादेव ने अपने दूत को निर्देश दिया कि सिर पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए और उसकी माता का मुख विपरीत दिशा में होना चाहिए, तभी तुम सिर ला सकोगे।

जब दूत सिर खोज रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक हाथी उसकी माता के पीछे पश्चिम दिशा की ओर मुख करके सो रहा है, बिना कुछ सोचे-समझे वे तुरंत उस शिशु हाथी का सिर लेकर कैलाश चले जाते हैं।

हाथी का सिर देखकर देवी मां पार्वती बहुत क्रोधित हो जाती हैं।

ganesh chaturthi

जब महादेव ने माता पार्वती को शांत किया तो भोलेनाथ ने अपने प्रिय विनायक के धड़ पर हाथी का सिर लगाकर उन्हें नया जन्म दिया और सनातन देव भगवान श्री हरि विष्णु ने उन्हें नया नाम दिया “श्री गणेश”।

विनायक के शरीर पर हाथी का सिर लगाने के बाद भगवान महादेव ने विनायक को फिर से जन्म दिया और उन्हें भगवान श्री हरि विष्णु से नया नाम मिला, जिस से वे पूरे संसार में प्रसिद्ध हैं “श्री गणेश”।

इस तरह “श्री गणेश जी” का जन्म हुआ।

ये सारी घटना सभी देव गण एवं महादेव के गणो के समग्र घटित हुई थी, परंतु सर्व प्रथम भगवान इंद्र देव ने पुष्पो से “श्री गणेश” के चरणों पर अर्पित किए और उनको अपने गोद में बैठा कर सारा संसार घुमाने हेतु ले गए, परंतु उनके आँखों से आश्रुओं की धरा रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी, क्योंकि जो नष्ट आज “विनायक” को हुआ है वैसे काई नष्ट से, श्रापों से वो गुजर चुके थे।

 उनहोंने भी कम कष्ट नहीं झेले थे इसलिए उन्हें “विनायक” का दर्द समझ आया था, तो वो इतना रो रहे थे।

वे “श्री गणेश” से इतना प्रसन्न थे, उन्हें “श्री गणेश” को अपना सिंहासन ही उपहार में देना का निश्चय कर लिया था, परंतु “श्री गणेश” ने उन्हें लेने से इंकार कर दिया।

तब वापस आकर पुन: भगवान इंद्र देव ने पुष्पो से “श्री गणेश” जी के चरणों में अर्पित सर्व प्रथम उनकी पूजा की।

भगवान इंद्र देव पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भगवान “श्री गणेश” की पूजा की थी।

जिसे हम आज गणेश चतुर्थी के नाम से पूरे संसार में एक उत्सव की तरह मनाते हैं।

Question & Answer for Ganesh Chaturthi.

Q- When is ganesh chaturthi 2024 ?

Ans- According to Drik Panchang, Chaturthi Tithi will be from 03:01 pm on 06 September 2024 to 05:37 pm on 07 September 2024.

Q- When does ganesh chaturthi end ?

Ans- As per or Hindu Panchang 17 September 2024 is known as “Anant Chaturdasi” on this day Lord Shri Ganesh goes back to his abode.

Q- Why we celebrate ganesh chaturthi ?

Ans- Ganesh Chaturthi is just not only a festival but it’s more like a family get together, because everyone treats Lord Ganesh with different names and realtions. Someone calls him Big Brother like me, someones call him his son, a brother, a protector and a defender and he the god who is worshipped first before anybody else anything else.

Shri Ganesh 108 names in MARATHI, BENGALI, TELUGU, GUJRATI, KANNADA, ODIA, SANSKRIT, ENGLISH.

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