Hare Rama Hare Krishna

Saraswati Chalisa PDF / माँ सरस्वती चालीसा

saraswati chalisa pdf

|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||

|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

श्री राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥

श्री राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥

श्री राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥

श्री राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥

श्री राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥

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|| अथ श्री सरस्वती चालीसा ||

॥ दोहा ॥

जनक जननि पदम दुरज, निज मस्तक पर धारि । बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि ॥

पूर्ण जगत में व्याप्त, महिमा अमित अनंतु । रामसागर के पाप को, मातु तुही अब हन्तु ॥

|| चालीसा ||

जय श्रीसकल बुद्धि बलरासी । जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी ॥

जय जय जय वीणाकर धारी। करती सदा सुहंस सवारी ॥

 

रूप चर्तुभुजधारी माता। सकल विश्व अन्दर विख्याता ॥

जग में पाप बुद्धि जब होती। तबही धर्म की फीकी ज्योति ॥

 

तबहि मातु का निज अवतारा। पाप हीन करती महि तारा ॥

बाल्मीकि जी थे हत्यारा। तब प्रसाद जानै संसारा ।।

 

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रामचरित जो रचे बनाई। आदि कवि पदवी को पाई ॥

कालिदास जो भये विख्याता । तेरी कृपा दृष्टि से माता ॥

 

तुलसी सूर आदि विद्वाना। भये और जो ज्ञानी नाना ॥

तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा । केवल कृपा आपकी अम्बा ॥

 

करहु कृपा सोई मातु भवानी। दुखित दीन निज निज दासहि ज़ानी ।।

पुत्र करई अपराध बहूता । तेहि न धरइ चित सुन्दर माता ॥

 

राखु लाज जननि अब मेरी। विनय करु भाँति बहुतेरी॥

मैं अनाथ तेरी अवलंबा। कृपा करऊ जय जय जगदंबा ॥

 

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मधु कैटभ जो अति बलवाना। बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना ॥

समर हजार पांच में घोरा। फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा ॥

 

मातु सहाय कीन्ह तेहि काला। बुद्धि विपरीत भई खलहाला ॥

तेहि ते मृत्यु भई खल केरी। पुरवहु मातु मनोरथ मेरी ॥

 

चंड मुण्ड जो थे विख्याता। छण महु संहारेउ तेहिमाता ॥

रक्तबीज से समरथ पापी। सुरमुनि हृदय धरा सब काँपी ॥

 

काटेउ सिर जिम कदली खम्बा । बार बार बिनऊं जगदंबा ॥

जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा । छण में वधे ताहि तू अम्बा ।।

 

भरत-मातु बुद्धि फेरेऊ जाई। रामचन्द्र बनवास कराई ||

एहिविधि रावन वध तू कीन्हा। सुर नर मुनि सबको सुख दीन्हा ।।

 

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को समरथ तव यश गुन गाना। निगम अनादि अनंत बखाना ॥

विष्णु रूद्र अज सकहिन मारी। जिनकी हो तुम रक्षाकारी ॥

 

रक्त दन्तिका और शताक्षी। नाम अपार है दानव भक्षी ॥

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा। दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा ॥

 

दुर्ग आदि हरनी तू माता। कृपा करहु जब जब सुखदाता ॥

नृप कोपित को मारन चाहै। कानन में घेरे मग नाते ॥

 

सागर मध्य पोत के भंजे। अति तूफान नहिं कोऊ संगे ॥

भूत प्रेत बाधा या दुःख में। हो दरिद्र अथवा संकट में ॥

 

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नाम जपे मंगल सब होई। संशय इसमें करइ न कोई ॥

पुत्रहीन जो आतुर भाई। सबै छाँडि पूजें एहि माई ॥

 

करै पाठ नित यह चालीसा। होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा ॥

धूपादिक नवैद्य चढ़ावै। संकट रहित अवश्य हो जावै ॥

 

भक्ति मातु की करें हमेशा। निकट न आवै ताहि कलेशा ॥

बंदी पाठ करें सत बारा। बंदी पाश दूर हो सारा ॥

रामसागर बाधि हेतु भवानी। कीजै कृपा दास निज जानी ॥

॥ दोहा ॥

मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप। डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप ॥

बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु । राम सागर अधम को आश्रय तू ही ददातु ॥

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कर्पूरगौरं करुणावतारं |

संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् || 

सदा बसन्तं हृदयारविन्दे |

भवं भवानीसहितं नमामि।।

त्वमेव माता च पिता त्वमेव ।
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ॥ 
त्वमेव विद्या द्रविणम् त्वमेव ।
त्वमेव सर्वम् मम देव देव ॥

त्वमेव सर्वम् मम देव देव ॥

त्वमेव सर्वम् मम देव देव ॥

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कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा ।
बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावात् ।
करोमि यद्यत्सकलं परस्मै ।
नारायणयेति समर्पयामि ॥ 

अच्युतं केशवं रामनारायणं
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं
जानकीनायकं रामचंद्रं भजे ॥

|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||

|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||

 

|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||

|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||

 

|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||

|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||

 

|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||

|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||

 

|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||

|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||

|| बोलो अम्बे माँ की जय ||

|| बोलो साजे दरबार की जय ||

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|| हर हर हर हर महादेव शिव शम्भो शंकर ||

श्री हनुमान चालीसा – Hanuman Chalisa in HINDI, TELUGU, TAMIL, MARATHI, ODIA (ORIYA), BENGALI, URDU, GUJRATI, KANNAD.

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