Hare Rama Hare Krishna

Shri Kanakadhara Stotram

Kanakdhara

|| श्रीगणेशाय नमः ||

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||

|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||

॥ कनकधारा स्तोत्रम् ॥

Here’s the shloka’s of the hymn written in a simple, easy-to-read, pronounce format for beginners. I’ve added Hindi pronunciation using Latin script (transliteration) and broken it line by line for easier learning:

1st Kanakdhara Strotram Sanskrit Shloka

अङ्गं हरेः पुलक-भूषणम् आश्रयन्ती
भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्।
अङ्गीकृताखिल-विभूतिर् अपाङ्ग-लीला
माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गल-देवतायाः॥

Kanakdhara Strotram Hindi Translation

भगवान हरि के शरीर पर रोमांच रूपी आभूषण को अपनाने वाली, 

जैसे भंवरा कली के आभूषण पर मंडराता है, 

वैसे ही जिनकी दृष्टि सम्पूर्ण ऐश्वर्य को प्रदान करती है — वे मुझ पर कृपा करें।

2nd Kanakdhara Strotram Sanskrit Shloka

मुग्धा मुहुर्वदने मुरारेः प्रेमास्मितं बहु कुटोन्मुखता विधत्ते।
नित्यं मुदाकृतकठाक्षमुपेत्य तिष्ठं
गौरीं गृहं मम गृणातु गृहिण्यमीशा॥

Kanakdhara Strotram Hindi Translation

जो बार-बार भगवान मुरारी के मुख पर प्रेमपूर्ण मुस्कान बिखेरती हैं, और अपने कृपादृष्टि से सबको आकृष्ट करती हैं — वे देवी लक्ष्मी, मेरी गृहिणी बनकर मेरे घर को अपनाएं।

3rd Kanakdhara Strotram Sanskrit Shloka

आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुखेन्दुं
निमीलितं नयनयोरिनशाभ्य नाशम्।
नीमेक्षणं श्रियमतीव विलासिनीं तां
वामाक्षिलक्षणविलक्षणमालसङ्गाम्॥

Kanakdhara Strotram Hindi Translation

जिनकी अर्धनिमीलित दृष्टि से चंद्रमा के समान मुख की शोभा प्रकट होती है, जो समस्त दरिद्रता का नाश करती हैं, जो विलासमयी हैं, वे देवी लक्ष्मी मुझे प्राप्त हों।

4th Kanakshara Strotram Sanskrit Shloka

साक्षात्क्षमा करुणया कृतकान्तिभङ्गा
नम्राणना च शशिसेखरविभ्रमाद्या।
साक्षान्मनोहरगुणानवगुण्ठिताङ्गी
साक्षान्नमामि जगतां श्रियमिष्यदिन्दुम्॥

Kanakdhara Strotram Hindi Translation

जिनकी करुणा ने उनके रूप की कान्ति को बढ़ा दिया है, जो चंद्रमा जैसे मुख से युक्त हैं और जिनका सौंदर्य अद्भुत है — उस जगत की श्री (लक्ष्मी) को मैं साक्षात प्रणाम करता हूँ।

5th Kanakdhara Strotram Sankrit Shloka

नीराजनं निजपदं विहितं गवाक्षैः
गौरं गणेशमपि चाननपङ्कजेन।
नीराजनं सुतरां निहितं प्रसन्नैः
सन्तोषितं श्रियमहं शरणं प्रपद्ये॥

Kanakdhara Strotram Hindi Translation

जिनके चरणों का नीराजन स्वयं प्रभा करती है, जो प्रसन्न मुख और सौंदर्य से परिपूर्ण हैं, ऐसी संतुष्ट लक्ष्मी देवी की मैं शरण लेता हूँ।

|| श्री कनकधारा स्तोत्रम् ||

|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||

|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||

|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||

|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||

|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||

|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||

|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||

|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||

|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||

|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||

|| हर हर हर हर महादेव शिव शम्भो शंकर ||

श्री हनुमान चालीसा – Hanuman Chalisa in HINDI, TELUGU, TAMIL, MARATHI, ODIA (ORIYA), BENGALI, URDU, GUJRATI, KANNAD.

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