Bhairav Chalisa Lyrics / काल भैरव चालीसा
॥ श्री भैरव चालीसा ॥
|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||
|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||
ॐ
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
Bhairav Chalisa Lyrics
॥ दोहा ॥
विश्वनाथ को सुमिर मन, धन गणेश का ध्यान। भैरव चालीसा रचूं कृपा करहु भगवान ॥
बटुकनाथ भैरव भुजं, श्री काली के लाल। छीतरमल पर कर कृपा, काशी के कुतवाल ॥
जय जय श्रीकाली के लाला। रहो दास पर सदा दयाला ॥
भैरव भीषण भीम कपाली। क्रोधवन्त लोचन में लाली ॥
कर त्रिशूल है कठिन कराला। गल में प्रभु मुण्डन की माला ॥
॥ चालीसा ॥
कृष्ण रूप तन वर्ण विशाला। पीकर मद रहता मतवाला ॥
रुद्र बटुक भक्तन के संगी। प्रेत नाथ भूतेश भुजंगी ॥
त्रैल तेश है नाम तुम्हारा। चक्र तुण्ड अमरेश पियारा ॥
शेखरचंद्र कपाल बिराजे । स्वान सबारी पै प्रभु गाजे ॥
शिव नकुलेश चण्ड हौ स्वामी। बैजनाथ प्रभु नमो नमामी ॥
अश्वनाथ क्रोधेश बखाने। भैरों काल जगत ने जाने ॥
Bhairav Chalisa Lyrics
गायत्री कहैं निमिष दिगम्बर। जगन्नाथ उन्नत आडम्बर ॥
क्षेत्रपाल दसपाण कहाये। मंजुल उमानन्द कहलाये ॥
चक्रनाथ भक्तन हितकारी। कहैं त्र्यम्बक सब नर नारी ॥
संहारक सुनन्द तव नामा। करहु भक्त के पूरण कामा॥
नाथ पिशाचन के हौ प्यारे। संकट मेटहु सकल हमारे ॥
कृत्यायू सुन्दर आनन्दा। भक्त जनन के काटहु फन्दा ॥
कारण लम्ब आप भय भंजन। नमोनाथ जय जनमन रंजन ॥
हौ तुम मेष त्रिलोचन नाथा। भक्त चरण में नावत माथा ॥
त्वं अशतांग रुद्र के लाला। महाकाल कालों के काला ॥
ताप मोचनं अरि दल नासा। भाल चन्द्रमा करहि प्रकाशा ।।
श्वेत कालअरु लाल शरीरा। मस्तक मुकुट शीश पर चीरा ॥
काली के लाला बलधारी। कहाँ तक शोभा कहूं तुम्हारी ॥
शंकर के अवतार कृपाला। रहो चकाचक पी मद प्याला ॥
काशी के कुतवाल कहाओ। बटुक नाथ चेटक दिखलाओ ।
Bhairav Chalisa Lyrics
रवि के दिन जन भोग लगावें। धूप दीप नैवेद्य चढ़ावें॥
दरशन करके भक्त सिहावें। दारुड़ा की धार पिलावें ॥
मठ में सुन्दर लटकत झावा। सिद्ध कार्य कर भैरों बाबा ॥
नाथ आपका यश नहीं थोड़ा। करमें सुभग सुशोभित कोड़ा ॥
कटि घूँघरा सुरीले बाजत। कंचन के सिंहासन राजत ॥
नर नारी सब तुमको ध्यावहिं । मनवांछित इच्छाफल पावहिं ॥
भोपा हैं आपके पुजारी। करें आरती सेवा भारी ॥
भैरव भात आपका गाऊँ। बार बार पद शीश नवाऊँ ॥
आपहि वारे छीजन घाये। ऐलादी ने रुदन मचाये ॥
बहन त्यागि भाई कहां जावे। तो बिन को मोइ भात पिन्हावे ॥
रोए बटुक नाथ करुणा कर। गरे हिवारे मैं तुम जाकर ॥
दुखित भई ऐलादी बाला। तब हर का सिंहासन हाला ।।
समय ब्याह का जिस दिन आया। प्रभु ने तुमको तुरत पठाया ॥
विष्णु कही मत बिलम लगाओ। तीन दिवस को भैरव जाओ ।।
Bhairav Chalisa Lyrics
दल पठान संग लेकर धाया। ऐलादी को भात पिन्हाया ॥
पूरन आस बहन की कीनी। सुर्ख चुन्दरी सिर धर दीनी ॥
भात भरा लोटे गुण ग्रामी । नमो नमामी अन्तर्यामी ।।
छीतरमल प्रभु तुम्हरा चेला। नगर हाथरस करहिं बसेरा॥
॥ दोहा ॥
जय जय जय भैरव बटुक, स्वामी संकट टार। कृपा दास पर कीजिए, शंकर के अवतार ।।
जो यह चालीसा पढ़े, प्रेम सहित सत बारः। उस घर सर्वानन्द हौं, वैभव बढ़ें अपार ॥
|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||
|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||
|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||
|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||
|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||
|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||
|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||
|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||
|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||
|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||
|| हर हर हर हर महादेव शिव शम्भो शंकर ||
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