Jagdish Aarti
आरती श्री जगदीश जी की
|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||
|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||
ॐ
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
श्री राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥
श्री राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥
श्री राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥
श्री राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥
श्री राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥
ओ३म् जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनन के संकट, भक्त जनन के संकट क्षण में दूर करे। ओ३म् जय जगदीश हरे ||
जो ध्यावे फल पावे दुख विनसे मन का, ख विनसे मन का। सुख सम्पत्ति घर आवे कष्ट मिटे तन का। ओ३म् जय जगदीश हरे ||
मात-पिता तुम मेरे शरण गहूँ मैं किसकी, शरण गहूँ मैं किसकी। तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा आस करूं जिसकी।ओ३म् जय जगदीश हरे ||
तुम पूरण परमात्मा तुम अन्तर्यामी, तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर तुम सब के स्वामी। ओ३म् जय जगदीश हरे ||
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता, तुम पालनकर्ता। मैं मूरख खल कामी, मैं मूरख खल कामी कृपा करो भर्ता। ओ३म् जय जगदीश हरे ||
तुम हो एक अगोचर सबके प्राणपति, सबके प्राणपति।किस विधि मिलूं दयामय,किस विधि मिलूं दयामय तुमको मैं कुमति। ओ३म् जय जगदीश हरे ||
दीनबन्धु दुःखहर्ता , तुम रक्षक मेरे,तुम रक्षक मेरे।करूणा हस्त उठाओ ,करूणा हस्त उठाओ द्वार पड़ा तेरे। ओ३म् जय जगदीश हरे ||
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा, पाप हरो देवा । श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ सन्तन की सेवा। ओ३म् जय जगदीश हरे ||
ओ३म् जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनन के संकट, भक्त जनन के संकट क्षण में दूर करे। ओ३म् जय जगदीश हरे ||
|| बोलो राधे श्याम भगवान की जय ||
|| बोलो कन्हिया लाल की जय ||
|| बोलो कुंज बिहारी लाल की जय ||
कर्पूरगौरं करुणावतारं |
संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ||
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे |
भवं भवानीसहितं नमामि।।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव ।
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ॥
त्वमेव विद्या द्रविणम् त्वमेव ।
त्वमेव सर्वम् मम देव देव ॥
त्वमेव सर्वम् मम देव देव ॥
त्वमेव सर्वम् मम देव देव ॥
कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा ।
बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावात् ।
करोमि यद्यत्सकलं परस्मै ।
नारायणयेति समर्पयामि ॥ (i)
अच्युतं केशवं रामनारायणं
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं
जानकीनायकं रामचंद्रं भजे ॥
|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||
|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||
|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||
|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||
|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||
|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||
|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||
|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||
|| हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||
|| हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||
|| बोलो अम्बे माँ की जय ||
|| बोलो साजे दरबार की जय ||
|| हर हर हर हर महादेव शिव शम्भो शंकर ||
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